आज भारत जैसे देश में खाने की आज़ादी को लेकर आवाज़ उठती है खास तौर पर गोंमास को लेकर | गाय में एक तो हम हिन्दुओं की आस्था भी है और गाय का मास खाना पर्यावरण के अनुकूल भी नहीं है | ये कहना UNITED NATIONS ENVIRONMENT PROGRAM के विशेषज्ञों का है |उनके द्वारा किये गये शोध में पता चला है कि गाय के मास को पकाने में भरी मात्रा में उर्जा लगती है और औसतन एक हैमबर्गर को पकाने में तीन किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है | और वैज्ञानिको का दावा है की अगर गाय का मास खाना बंद किया जाए तो पृथ्वी के वातावरण को बचाया का सकता है | गौमास छोड़ने से कार्बन को इतना कम किया जा सकता है जो की कारों से निकलने वाले कार्बन से ज्यादा है | वैज्ञानिकों का दावा है की एक किलो गाय के मास को पकाना , 160 किलोमिटर तक किसी वाहन को चलाने के बराबर है | इन सभी तथ्यों से ये बात है साफ़ है की अगर विश्व के पर्यावरण को सही करना है तो गोंमास पर प्रतिबंद लगाना होगा |
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