वीर सावरकर एक ऐसे राष्ट्रवादी व्यक्ति थें जिनकी सोच और साहित्य ने अंग्रेजो को उनकी औकात दिखाई थी और वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों के प्रेरणा स्त्रोत भी थे | इस महान सेनानी का जन्म 28 मई 1883 को नासिक के करीबी गाँव भंगुर में हुआ | उन्होंने आने पुस्तके लिखीं जो जी आज के भारत के अहर युवा को जरुर पड़नी चाहिए | आइये जानते है उनकी कुछ किताबों के बारे में :
1857 स्वतन्त्रता समर : यह एक ऐसी पुस्तक थी जिसे छपने से पहले ही अंग्रेजो द्वारा प्रतिबन्ध कर दिया गया था | सावरकर यह पुस्तक लिख कर यह साबित करना चाहते थे कि 1857 कोई छोटा मोटा आन्दोलन न होकर पूर्ण भारत का स्वतन्त्रता के लिए सामूहिक प्रयास था | जिस आन्दोलन को अंग्रजो ने एक मामूली विद्रोह बताया था उसको झूठा इस पुस्तक ने साबित किया | अंग्रेजो को डर था कहीं इस पुस्तक को पड़ कर भारतीयों को फिर से खड़े होने कि प्रेरणा न मिले इसलिए उन्होंने इसे प्रतिबन्ध कर दिया हालाकि उनको पता भी नहीं था कि यह पुस्तक कैसी है और इसका शीर्षक क्या है और जिन स्वतन्त्रता सेनानियों को गिरफ्तार किया जाता था उनके घर से इस पुस्तक की एक प्रतिलिपि जरुर मिलती थी |
मोपला : यह पुस्तक मालाबार की घटना पर आधारित है जिसमे बताया गया है कि कैसे खिलाफत आन्दोलन का सहारा लेकर मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं के साथ मार काट की गई थी | प्रतेक हिन्दू को यह पुस्तक जरुर पड़नी चाहिए और अपनी गलतियों से सबक लेना चाहिए |
प्रतिशोध : यह भारत के इतिहास कि बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक है | इसमें बताया गया है कि पानीपत के युद्ध के बाद कैसे मराठों ने मुस्लिम शासकों से प्रतिशोध लिया और हिंदुत्व की शान को बचाया | इसमें उन लोगों का भी ज़िक्र है जिन्होंने अपने धर्म के लिए बलिदान दिया |
गोमतंक : यह पुस्तक अंग्रेजों के जुल्मों पर आधारित है जहाँ एक गाँव का जिक्र है और मराठों के अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष के बारे में भी बताया गया है |
मेरा आजीवन कारावास : यह पुस्तक सावरकर ने उन घटनाओं पर लिखी है जब उन्होंने अंग्रेज सरकार ने आजीवन कारावास कि सज़ा सुनाई थी | यह पुस्तक आपको डर से लड़ने कि प्रेरणा देगी |
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