सभ्यता को प्रकृति के करीब लाने का स्त्रोत और कोई नहीं संस्कृत साहित्य है | वेद वेदांत महाभारत गीता आदि संस्कृत साहित्य मनुष्य के मानसिक , आत्मिक और आध्यात्मिक विकास के जरूरी है यह कहना लंदन के संत जेम्स स्कूल का है | इस स्कूल में संस्कृत पिछले 4 3 साल से अनिवार्य है और स्कूल में राम-कृष्ण महाभारत-रामायण आदि की कहानियां बताई जाती हैं | भोपाल से मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन इस स्कूल को संस्कृत का साहित्य उपलब्ध करवाता है |
इस स्कूल की स्थापना 1975 में हुई थी और 1993 को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में संस्कृत को विषय के रूप में शामिल करने की मदद इसी स्कूल ने की थी | इंग्लैंड में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल जनरल सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज इंटरनेशनल द्वारा अंतराष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाया गया है | 2008 में इंटरनेशनल संस्कृत एगजामिनेशन रेसौरस सोसाइटी का भी गठन किया | इसका उद्देश्य संस्कृत के प्रति लोगों को जागरूक करना है |
स्कूल का कहना है कि संस्कृत दुनिया की 9सबसे समृद्ध भाषा है यह शब्दावली ,साहित्य और विचारों में भी समृद्ध है | और यह विश्व की लगभगः सभी भाषाओं से उन्नत है और उनकी जननी है |
इस स्कूल की स्थापना 1975 में हुई थी और 1993 को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में संस्कृत को विषय के रूप में शामिल करने की मदद इसी स्कूल ने की थी | इंग्लैंड में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल जनरल सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज इंटरनेशनल द्वारा अंतराष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाया गया है | 2008 में इंटरनेशनल संस्कृत एगजामिनेशन रेसौरस सोसाइटी का भी गठन किया | इसका उद्देश्य संस्कृत के प्रति लोगों को जागरूक करना है |
स्कूल का कहना है कि संस्कृत दुनिया की 9सबसे समृद्ध भाषा है यह शब्दावली ,साहित्य और विचारों में भी समृद्ध है | और यह विश्व की लगभगः सभी भाषाओं से उन्नत है और उनकी जननी है |